23 Apr 2013

अंगुलाल्प ग्रहण साधना


निर्णयसिंधु नामक ग्रंथ मे कहा गया है जो ग्रहण अंगुला से कम दिखता हो उसे अंगुलाल्प ग्रहण कहते है,चंद्रग्रहण मे भगवान चंद्रमा के षोडशांश भाग से कम भाग मे ग्रहण लगता हो तो वह ग्रहण जादा प्रभावशाली नहीं होता है,परंतु क्या हम ग्रहण को प्रभावशाली नहीं बना सकते?
100% बना सकते है सिर्फ आवश्यकता है तिष्ण से भी तिष्ण साधनाओ की,कलयुग मे हनुमान जी का साधना अत्यधिक प्रभावशाली होता है और ग्रहण योग मे वही साधना की जाये तो फिर साधना तो तिष्ण से भी तिष्ण हो जाएगा,इस साधना से विपरीत तंत्र शक्ति का प्रभाव समाप्त होता है,वास्तुदोष जो आजकल एक प्रसिद्ध दोष है किसी भी ज्योतिष के पास जाओ तो ग्रह दोष निकलेगा और उपाय करने के बाद भी फायदा ना हो तो ज्योतिष महाराज का आखरी उपाय वास्तुदोष शांति ही होता हैइस साधना से ग्रह दोष,नक्षत्र दोष,कालसर्प दोष,पितु दोष,ऋण दोष और वस्तु दोष का समाप्ती होता है,यह साधना रोग मुक्ति के लिए अचूक है,स्वप्न दोष एवं नजर दोष भी समाप्त होते है॰इस साधना से इच्छाये पूर्ण की जा सकती है॰

साधना सामग्री- 


             पांच मुखी रुद्राक्ष,मूंगा/लाल हकीक माला,लाल आसन एवं वस्त्र,गुड और चने का भोग,सिंदूर॰


साधना विधि:


             ग्रहण रात्री मे महाराष्ट्र के समय नुसार 1:22 से 1:53 तक है,हनुमान जयंती के दिन सुबह ६ बजे से पहिले स्नान करने के बाद किसी नजदीक के पीपल के वृक्ष के पास जाये,पीपल के वृक्ष को पानि चढ़ाये और सामान्य पूजन करे,रुद्राक्ष को ज्यादा से ज्यादा मात्रा मे सिंदूर लगाये,सिंधुर सूखा या गीला भी लगा सकते है,सिंदूर लगाने के बाद रुद्राक्ष को किसी लाल वस्त्र मे बांधकर पीपल के वृक्ष के किसी डाली को बांध दे और दक्षिणा के साथ गुड चने का भोग चढ़ा दीजिये,शाम को फिर से उसी पीपल के वृक्ष के पास जाकर फिर से जल चढ़ाये और सामान्य पूजन करके रुद्राक्ष को अपने साथ ले जाने की अनुमति मांगे,उसी वस्त्र मे रुद्राक्ष को साथ लेकर घ मे किसी येसे जगह रखे जहा स्त्री की छाव न पड़े,रात्रि मे ग्रहण के समय साधना कक्ष या पुजाघ मे जहा भी आप साधना कराते हो,लाल वस्त्र की गाठ खोलकर रुद्राक्ष भाहर निकालकर किसी अन्य लाल वस्त्र पर स्थापित करे,रुद्राक्ष के ऊपर चढ़ाया हुये सिंदूर से माथे पे अंगूठे से तिलक करे,गुरुमंत्र का आवश्यकता नुसार मंत्र जाप करे और सदगुरुजी से साधना सफलता की कामना करे,रुद्राक्ष को पंचमुखी हनुमान मानते हुये सामान्य पूजन करे और निम्न मंत्र का २१ माला मंत्र जाप करे॰



मंत्र-


            ॥ ॐ हूं हूं हनुमतये हूं हूं फट ॥



                                 Om hum hum hanumataye hum hum phat



साधना मे मंत्र जाप करते समय आपको रुद्राक्ष की और ध्यान केन्द्रित करना आवश्यक है,इस समय मे रुद्राक्ष हिले या गोल घूमने लगे तो डरीये मत सदगुरुजी का स्मरण कराते रहे,मंत्र जाप के बाद रुद्राक्ष का जल से शुद्धिकरण करे और किसी लाल धागे मे रुद्राक्ष धारण कर लीजिये या फिर घर मे किसी पवित्र स्थान पर लाल धागे मे बांध दीजिये,हो सके तो मंत्र का जाप नित्य २१ दिन तक ३ माला करे ताकि आपको हनुमाना जी के सौम्य रूप मे दर्शन प्राप्त हो,जब किसी पीड़ित को ठिक करना हो चाहे वह रोग हो या टोना टोटका हो,तंत्र बाधा हो,भूत-प्रेत-पिशाच बाधा हो तो एक ग्लास शुद्ध जल मे १०८ बार मंत्र बोलकर जल मे ३ बार फुक मारे और पीड़ित को जल पीला दे तो पीड़ित व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा २ घंटे के अंदर मे ही आराम मिलता है॰


यह अचूक और प्रभावशाली साधना है




श्री-सदगुरुजीचरनार्पणमस्तू...................