8 Sept 2015

अप्सरा सिद्धी (Apsara Siddhi).

अप्सरा सिद्धी के बारे मे कई ग्रंथो मे बहोत कुछ प्रामनिकता के साथ लिखा हुआ है परंतु उसके सिद्धी के बारे मे ज्यादा कुछ लिखा नही गया.
आज मै आपको बता दू के अप्सरा को सिर्फ नक्षत्र,चंद्र बल,ताराबल और कुंडली मे शुक्र ग्रह के स्थिति को देखकर ही सिद्ध किया जा सकता है.
नक्षत्र-इससे अप्सरा सिद्धी का पूर्ण आधार माना जा सकता है क्युके अप्सरा नक्षत्र के हिसाब से साधक पर कृपा करती है और प्रत्यक्ष होती है.प्रत्येक अप्सरा का एक विशेष नक्षत्र है जिस पर उसे आकर्षित किया जा सकता है और अगर उसी नक्षत्र पर साधना पूर्ण किया जाये तो अप्सरा का प्रत्यक्षीकरन असंभव नही है.नक्षत्र और अप्सरा का संबंध एक दूसरे को जोडता है जिससे साधक सफल होता है.
चंद्र बल-इससे साधक मे उस्ताह निर्मित होता है जिससे साधक चैतन्यता के साथ साधना मे सफल होता ही है और उसकी मानसिकता साधना मे योग्य निर्देश प्रदान करती है.बिना उस्ताह और उमंग के कोई भी साधक सफलता प्राप्त नही कर सकता है येसा साधना सुत्र है.
तारा बल-यह भी आवश्यक माना जाता है जिससे आप स्वयम को उर्जावान बनाने मे सक्षम रहेते है.
शुक्र ग्रह-जिससे साधक मे आकर्षण और सम्मोहन होता है.भोग और विलास के ग्रह की कृपा से आज इंद्र देव सकल समृद्ध माने जाते है,येसी दिव्य कृपा उन्हे महालक्ष्मी जी के कृपा से प्राप्त हुयी और आज भी वह देवराज इंद्र कहेलाते है.उनकी तपस्या से उन्होने यह वैभव प्राप्त किया और दैत्यगुरू शुक्राचार्य जी की भी कृपा प्राप्त करके सभी प्रकार के आनंद को प्राप्त करने का लाभ उठाया.देवगुरू बृहस्पती के मार्गदर्शन मे उन्होने सभी देवताओ को अपने कार्यो हेतु अपने दरबार मे स्थान दिया हुआ है.
इसी तराहा अप्सराओ के नृत्य से उन्हे आनंद मिलता है और अप्सरा का कार्य ही यह है की "आनंद प्रदान करना",जिसके लिये वह श्रुन्गार करती है नृत्य करती है और इंद्र सभा को खुश रखती है.अप्सरा मे येसी क्षमता है जिससे वह समस्त प्रकार के दुखो का नाश करदे.
अब कुछ लोग कहेते है भगवान कृष्ण जी ने कहा है "जिसको पुजोगे उसिको प्राप्त हो जाओगे,जैसे भुतो को पुजोगे तो भुतयोनी मे ही जाओगे"तो क्या यह गलत है के आप अप्सरा को प्राप्त करे और अप्सरा मे जाओगे.यह तो अच्छा है आप भी दूसरो के दुख*दर्द को समाप्त करने की क्षमता प्राप्त करोगे.कोई ये क्यू नही कहेता भगवान कृष्ण ने ये भी कहा है "तुम चाहे जिसकी भी पुजा करो अंत: वो मुझे ही प्राप्त होती है",एक बात समझ लो "चाहे जल कैसे भी बहे अंत: वह समुद्र मे ही मिलता है.जब सब कुछ भगवान कृष्ण मे ही समाहित होगा और उन्हे ही प्राप्त होगा तो वही आपको फल देगे.अब इसमे डरने जैसी कोई बात नही है की "अप्सरा साधना करोगे तो अप्सरा योनी को प्राप्त हो जाओगे".
सबसे पहिले अपने विकारो को दुर करो और गुरूकृपा से अप्सरा साधना करो,साथ मे किसी भी अप्सरा साधना से पूर्व गुरूमंत्र का अनुश्ठान जरुर किजिये.आपको सफलता प्राप्त होगी और जीवन मे खुश रहेने का मार्ग मिलेगा.यह साधना कोई भी कर सकता है.
आदेश.