27 Sept 2015

दिव्य अष्टलक्ष्मी मंत्र साधना.

हिंदू देवी-देवताओं में श्री लक्ष्मीजी को धन की देवी माना जाता हैं.इस लिये जिन लोगो पर देवी लक्ष्मी की कृपा हो जाती हैं, उन्हें जीवन में कभी किसी तरह के अभावो या
कमीयों का सामना नहीं करना पड़ता.
व्यक्ति का जीवन सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य से भरा होता हैं. विद्वानो के मतानुशार शास्त्रों में लक्ष्मीजी के आठ रूपो का उल्लेख मिलता हैं.इस लिये जिन लोगो पर
अष्ट लक्ष्मी की कृपा हो जाती है. उनका जीवन सभी प्रकार के सुख-समृद्धि-ऎश्चर्य एवं संपन्नता से युक्त रहता हैं.ऎसा शास्त्रोक्त विधान हैं, इस में लेस मात्र संशय नहीं हैं.
यदि मनुष्य को जीवन में लक्ष्मी को प्राप्त करना है तो अष्टलक्ष्मी रहस्य जानना
आवश्यक है और इनकी उपासना करना आवश्यक है.इसका शास्त्रों में वर्णन एवं मंत्र निम्नलिखित रूप में प्राप्त होते हैं:

1. धन लक्ष्मी: लक्ष्मी के इस स्वरूप की आराधना करने से रूपये पैसे के रूप में
लक्ष्मी की प्राप्ति होती है तथा स्थिति ऐसी बनती है कि रूपये पैसे का आगमन होता है तथा इस रूपये पैसे में बरकत होती है
व्यर्थ में व्यय नहीं होता है.

2. यश लक्ष्मी: लक्ष्मी के इस स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को समाज में सम्मान, यश, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, इनकी आराधना करने से व्यक्ति में विद्वत्ता, विनम्रता आती है,अन्य लोग जो शत्रुता
रखते हो उनका भी व्यवहार प्रेममय हो जाता है.

3. आयु लक्ष्मी: लक्ष्मी के इस स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति दीर्घायु को प्राप्त करता है और रोगो से बचाव होता है.यदि व्यक्ति सदैव रोगग्रस्त या मानसिक रूप से परेशान हो तो उसे इस लक्ष्मी की आराधना अवश्य करनी चाहिये.

4. वाहन लक्ष्मी: लक्ष्मी के इस रूप की पूजा करने से व्यक्ति के घर में वाहन इत्यादि रखने की इच्छा पूर्ण होती है.
इसी के साथ-साथ इन वाहनों का समुचित प्रयोग भी होता है क्योंकि कई बार ऐसा भी देखने में आता है कि घर में वाहन तो है पर उनका प्रयोग नहीं हो पाता है.

5. स्थिर लक्ष्मी: लक्ष्मी के इस स्वरूप
की पूजा करने से घर धन-धान्य से भरा रहता है. वास्तव में यह अन्नपूर्णा देवी की घर में स्थाई निवास की पद्धति है.

6. सत्य लक्ष्मी :लक्ष्मी के इस स्वरूप की पूजा करने से मनोनुकूल पत्नी की प्राप्ति होती है या यदि पत्नी पूर्व से हो तो वह व्यक्ति के मनोनुकूल हो जाती है और वह मित्र, सलाहकार बनकर जीवन में पूर्ण सहयोग देती है.

7. संतान लक्ष्मी: इस लक्ष्मी की पूजा करने से संतानहीन दंपत्ति को संतान की प्राप्ति
होती है.इसी के साथ-साथ यदि पूर्व से
संतान हो पर वह दुष्ट, अशिक्षित, परेशान करने वाली हो तो सुधर जाती है.

8. गृह लक्ष्मी: इस लक्ष्मी की पूजा करने से जिनके पास अपने स्वयं के घर न हो
उनको घर की प्राप्ति होती है या घर हो
पर उसमे रह न पा रहे हों या उनके निर्माण में कठिनाई हो रही हो इससे मुक्ति मिलती है.

शुक्रवार के दिन इन आठों लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हुये प्रत्येक लक्ष्मी मंत्र के 108 पाठ कमलगट्टे की माला से करें.अष्टलक्ष्मी की कृपा वर्ष भर बनी रहेगी.

ॐ धनलक्ष्म्यै नम:
ॐ यशलक्ष्म्यै नम:
ॐ आयुलक्ष्म्यै नम:
ॐ वाहनलक्ष्म्यै नम:
ॐ स्थिरक्ष्म्यै नम:
ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:
ॐ संतानक्ष्म्यै नम:
ॐ गृहक्ष्म्यै नम:

साधना सामग्री:-

1.सिद्ध श्रीयंत्र ,पाट,पीला वस्त्र ,ताम्बे की थाली, गाय के घी के ९(नौ) दीपक, गुलाब
अगरबत्ती, लाल/पीले फूलो की माला, पीली बर्फी,शुद्ध अष्टगंध.

2.माला:-स्फटिक/कमलगट्टा.
जप संख्या रोज 11 माला जाप 21 दिन करे.
3.आसन:-पीला,वस्त्र पीले,समय शुक्रवार रात नौ बजे के बाद कभी भी.
4.दिशा:-उत्तराभिमुख होकर बैठे.

दिव्य अष्टमंत्र मंत्र:-

ll ॐ ह्रीं स्थिर अष्टलक्ष्मै स्वाहा ll

5.विधान :-बाजोट पर पिला वस्त्र बिछा कर उस पर सिद्ध श्री यन्त्र स्थापित करे,पीले वस्त्र धारण कर पीले आसन पर बैठे श्री यन्त्र पर अष्टगंध का छीट्काव कर खुद अस्ट्गंध का तिलक करे उसके बाद ताम्बे की थाली में गाय के घी से नौ दीपक जलाये,गुलाब अगरबत्ती लगाये,प्रस्साद में पीली बर्फी रखे श्री यन्त्र पर फूल माला चढ़ाये उसके बाद मन्त्र जप करे.और माँ की कृपा को प्राप्त करे ...
माँ भगवती आप सभी को सुख समृद्धि
से पूर्ण करे..और मंत्र का नित्य जीवन मे 1,3,5,7,9 या 11 बार रोज जाप करते रहे.



आदेश.