26 Sept 2015

मृगाक्षी अप्सरा (किन्नरी साधना)

"शरीर निरोग हो साथ ही यौवन से छलकता हुआ देह का कायाकल्प संभव है महान ऋषि "धन्वन्तरी" रचित साधना से".
धन्वन्तरी महान,ऋषि,योग विद्या से परिपूर्ण,सब प्रकार के रोगो का निदान करने मे समर्थ,लेकिन एक चिंता उन्हे खायी जा रही थी,अवस्था के साथ-साथ जीवन आगे बढ रहा था.यौवन बीत गया था और वृद्धावस्था अपनी दस्तक दे रही थी.इसलिये जीवन मे रस नही आ रहा था,वे रसायन शास्त्री औषध शास्त्री बन गये लेकिन "रस-शास्त्री" नही बने एक दिन निराश होकर निढाल बैठे थे चिंता मे ही मगन थे,थके शरीर मे तन्द्रा आ गइ और निंद मे स्वप्न मे भगवान सदाशिव का आदेश आया.मै रसेश्वर हू तुम्हे रस से परिपूर्ण होना है और तुम्हे रस से परिपूर्ण कर सकती है "मृगाक्षी रुप गर्विता किन्नरी" अचानक नींद खुली और सब कुछ स्पष्ट हो गया,संपन्न अद्वितीय साधना बस प्रारंभ हो गयी चिर यौवन प्राप्ति यात्रा.
यह साधना पूर्ण होते-होते कमरे मे सुगंध बढती दिख सकती है या मानो प्रकाश बढता दिख सकता है या नुपुर ध्वनी आरंभ हो जाती है और ठिक यही समय है मृगाक्षी से वचन लेने का,उसे जीवन भर अपनी प्रेमिका और अपनी सहचरी बना रखने का.
इस प्रकार यह जीवन की परीवर्तनकारी साधना संपन्न होती है और आधार बन जाती है पूर्ण सम्मोहन एवं सौन्दर्य प्राप्ति का.इस साधना से जहा शरीर का सौन्दर्य बढता है वही चेहरे पर विशेष आकर्षण शक्ती निर्मित होती है जिसे देखकर कोई भी पुरुष/स्त्री आकर्षित होते है.
इस साधना मे "अष्ट किन्नरी यंत्र" और "मृगाक्षी गुटिका" की जरुरत होती है.
अद्वितीय आचार्य धन्वन्तरी द्वारा रचित एवं अनुभूत यह पद्धती सौ टंच खरी तथा प्रामानिक है ही.
आप इस अद्वितीय साधना का लाभ उठाये और जीवन मे खुश रहे यही कामना करता हू.

आदेश.