21 Dec 2016

साधना सिद्धियां



26/06/2016 को आखरी आर्टिकल लिखा था,सोचा अब 2016 ख़त्म हो रहा है तो एखादा साधनात्मक धमाका किया जाए । आज आपको अप्सरा साधना सिद्धि का एक उपाय बता रहा हूँ, जो आसान सा उपाय है । इस उपाय से आपको निच्छित फायदा होगा ऐसा हम उम्मीद करते हैं।


कोई ऐसा कुँवा ढूंढिये जिसको खोदने के बाद वो फेल हो गया हो मतलब उसको पानी ही ना लगा हो । वैसे देखा जाए तो ऐसे कुँवे बहोत मिल जायेगे, हमें इस तरह के कुँवे के अंदर के सात कंकर का आवश्यकता है । ये सात कंकर ही आपको निच्छित सिद्धि प्राप्त करने हेतु आवश्यक होंगे । इस प्रकार के कंकर पर आप भुत,प्रेत,पिशाच,जिन-जिन्नात,यक्षिनी,परि और अप्सरा साधना में सफलता प्राप्त कर सकते है ।


इस प्रकार का कुँवा बंद कुँवा कहलाता है और बंद कुँवे में हमेशा इतर योनिया अपना स्थान बना लेती है । कुँवा जितना अधिक पुराना हो उतना ही श्रेष्ठ माना जाता है और इस प्रकार का कुँवा अगर जंगल में मिले तो सोने पर सुहागा समाजीये,चार रास्ते में भी अगर ऐसा कुँवा हो तो भी यह उपाय किस्मत बदल सकता है । इस प्रकार के कुँवे में विशेष प्रकार की मंत्र विधि करके अगर अपनी इच्छा कुँवे में विसर्जित कियी जाए तो षटकर्म भी किये जा सकते है । षटकर्म का अर्थ है वशीकरण, मोहन, विद्वेषण,शांतिकर्म, उच्चाटन और मारण....... परंतु इस प्रकार के प्रयोग से कभी भी दुसरो का नुकसान नहीं करना चाहिए अन्यथा साधक को स्वयं ही हानि होता है । अच्छे कार्य हेतु अवश्य ही विशेष मंत्र विधि-विधान करना चाहिए, यह साधना कई प्रकार के रोगों से भी मुक्ति दिलाने में सहायता करता है ।

तंत्र शास्त्र में माना जाता है किसी भी वीराने स्थानों पर इतर योनियो का वास होता है और अघोर साम्प्रदायिक साधक हमेशा ऐसे स्थानों पर साधना करना पसंद करते है । यह उपाय उन साधक के लिए है जिन्हें इतर योनि साधना में सफलता ना मिली हो और जो सिद्धि प्राप्त करना अपना लक्ष्य मानते है ।
सर्वप्रथम मेरे बताये अनुसार कुँवा ढूंढे,फिर अमावस्या के दिन प्रात: कुँवे के पास जाए,वहा पर कुँवे का सामान्य पूजन करे जिस प्रकार का आप लोग जानते हो । पूजन के बाद कुँवे में उतरकर किसी भी प्रकार के सात कंकर उठाकर उनको लाल कपडे में बांधकर कुँवे से बाहर निकालकर लाये । एक आवश्यक बात कुँवा फेल हो जाने का एक ओर बात होता है "इस प्रकार के कुँवे में जल नहीं होता है" । कंकर कुँवे से बाहर लाने के बाद कुँवे में कच्चा दुध डाले और प्रार्थना करे "मुज़े साधना में सफलता प्राप्त होने हेतु अमुक शक्ति मेरे साथ चले"। प्रार्थना करने के बाद एक नारियल फोडकर उसको कुँवे में डाल दे और बिना पीछे मुड़कर देखते हुये वहा से चुप चाप घर को चले जाये ।


यह एक आवश्यक साधन है जो साधक को इतर योनि साधना में प्रत्यक्षीकरण करने के लिये सहाय्यक है । लाल कपडे में बंधे हुये सात कंकर को अपने दाएं हात में बांधकर साधना करने से शिघ्र साधना में सफलता प्राप्त करना संभव हो जाता है । कुँवे में से छोटे छोटे कंकर ही निकालना ताकि बाजू दंड (हाथ) में सही तरह से बाँध सको । इतर योनि साधना कोई भी हो और कैसी भी हो,इसमे रक्षा कवच हमेशा गले में बाँधकर ही रखा करो ।


आनेवाले नववर्ष 2017 में हम आपको इन्ही सात कंकर पर किये जाने वाले आवश्यक मंत्र प्रयोग भी बताएँगे । आनेवाला नववर्ष अवश्य ही सिद्धिदायक होगा क्योंके ग्रहो का साथ इस वर्ष में साधक को सफलता दायक प्रतीत हो रहा है ।


हम इस कोशिश में है,नववर्ष में आप सभी से मिल सके और आपको मार्गदर्शन कर सके । 2016 में व्यस्तता के कारण कुछ ही साधको से मिलना संभव हुआ और एक अलग आनंद की अनुभूति हुयी,यह सब मातारानी की कृपा है ।




आदेश..........



26 May 2016

साधना सामग्री हेतु.

यह एक महत्वपूर्ण बात है,जो सभी प्रिय साधको के लिये आवश्यक है। जिस साधक को किसी भी प्रकार का साधना सामग्री हमसे प्राप्त करना हो तो ईमेल भेजते समय अपना कोई भी एक फोटो आई.डी. भी भेजीये । अगर किसी समस्या का समाधान भी प्राप्त करना हो तो फोटो आई.डी. भेजना अनिवार्य है। फोटो आई.डी. मे आप आधार कार्ड,voting id card, driving license or pan card भी भेज सकते है ।
यह सब करना पड रहा क्युके कुछ लोग अलग-अलग नाम से हमसे प्रामाणिक साधना सामग्री प्राप्त करते है और ज्यादा धनराशि लेकर किसी दुसरे व्यक्ति को बेचते है। जैसे मुझे एक आदमी से पता चला उसने किसीसे बिर कंगन 20,000/-रुपये मे खरिदा और जब उसने हमारे साईट पर पढा तो वह हैरान होकर मुझसे पुछता है के आप 6100/- रुपये मे बिर कंगन कैसे दे रहे है ? जब मैने उससे उससे पुछा आप येसा क्यु पुछ रहे हो तो उसने मुझे बताया उसने किसी धिरज ******* नाम के व्यक्ति से 20 हजार रुपये मे खरिदा,जब मैने अपने रेकार्ड मे देखा तो मुझे भी पता चला "अब तक धिरज ******* ने मुझसे 3 बिर कंगन प्राप्त किये है।

ये सब हो गया तब मुझे येसा लगा के अब तो बहोत कुछ गड़बड़ हो चुका है क्युके कुछ लोग मुझसे प्रत्येक महिने मे बहोत सारा सामग्री मंगवाते है। परंतु अब आगेसे येसा नही होगा,हम लोगो को सामग्री बनवाने मे बहोत श्रम करना पड़ता है। येसे ही सब कुछ हवा मे निर्मित नही होता है,एक तो हमारे पास समय कम होता है और साधना करने वाले साधको का साधनाओं मे रुचि बढते जा रहा है। इसलिये आगेसे आप जब भी ईमेल से कुछ भी पुछना चाहो या साधना सामग्री प्राप्त करना चाहो तो अब आपको अपना आई.डी. कार्ड (I.D.card) भेजना जरुरी है। आई.डी. कार्ड ना भेजने वालो को किसी भी प्रकार का रिप्लाइ नहि दिया जायेंगा ।

हमारे तरह से आप सभी को ढेर सारा प्यार.....


आदेश.......

24 May 2016

चौरासीनाथ सिद्ध चालीसा


श्री गुरु गणनायक सिमर , शारदा का आधार |
कहूँ सुयश श्री नाथ का , निज मति के अनुसार ||
श्री गुरु गोरक्षनाथ के , चरणों में आदेश |
जिन के जोग प्रताप को , जाने सकल नरेश ||
जय श्री नाथ निरंजन स्वामी , घट घट के तुम अन्तर्यामी |

दीन दयालु दया के सागर , सप्तद्वीप नवखंड उजागर |
आदि पुरुष अद्वैत निरंजन , निर्विकल्प निर्भय दुख भंजन |
अजर अमर अविचल अविनाशी , रिद्धी सिद्धि चरणों की दासी |
बाल यती ज्ञानी सुखकारी , श्री गुरुनाथ परम हितकारी |
रूप अनेक जगत में धारे , भगत जनों के संकट टारे |
सुमिरन चौरंगी जब कीन्हा , हुए प्रसन्न अमर पद दीन्हा |
सिद्धों के सिरताज मनाओ , नवनाथों के नाथ कहावो |
जिसका नाम लिए भव जाल , अवागंमन मिटे तत्काल |
आदिनाथ मत्स्येन्द्र पीर, धोरामनाथ धुंधली वीर |
कपिल मुनि चर्पट कुण्डेरी , नीमनाथ पारस चगेरी |
परशुराम जमदग्नि नंदन , रावण मार राम रघुनन्दन |
कंसादिक असुरन दलहारी , वासुदेव अर्जुन धनुर्धारी |
अन्चलेश्वर लक्ष्मण बलबीर , बलदाई हलधर यदुवीर |
सारंगनाथ पीर सरसाईं , तुंगनाथ बद्री बलदाई |
भूतनाथ धरीपा गोरा , बटुकनाथ भैरो बल जोरा |
वामदेव गौतम गंगाई , गंगनाथ धोरी समझाई |
रतननाथ रण जीतन हारा , यवन जीत काबुल कंधारा |
नागनाथ नाहर रमताई , बनखण्डी सागर नन्दाई |
बंकनाथ कन्थड सिद्ध रावल , कानीपा निरीपा चंद्रावल |
गोपीचंद भर्तृहरि भूप , साधे योग लखे निज रूप |
खेचर भूचर बाल गुन्दाई , धर्मनाथ कपली कनकाई |
सिद्धनाथ सोमेश्वर चंडी , भुसकाई सुन्दर बहुदण्डी |
अजयपाल शुकदेव व्यास , नासकेतु नारद सुख रास |
सनत्कुमार भारत नहीं निद्रा , सनकादिक शरद सुर इन्द्रा |
भंवरनाथ आदि सिद्ध बाला , च्यावननाथ मानिक मतवाला |
सिद्ध गरीब चंचल चन्दराई , नीमनाथ आगर अमराई |
त्रिपुरारी त्र्यम्बक दुःख भन्जन, मंजुनाथ सेवक मन रंजन |
भावनाथ भरम भयहारी , उदयनाथ मंगल सुखकारी |
सिद्ध जालंधर मूंगी पावे, जाकी गति मति लखि न जावे |
अवघड देव कुबेर भंडारी , सहजाई सिद्धनाथ केदारी |
कोटि अनन्त योगेश्वर राजा , छोड़े भोग योग के काजा |
योग युक्ति करके भरपूर , मोह माया से हो गए दूर |
योग युक्ति कर कुन्तिमाई , पैदा किये पांचो बलदाई |
धर्मं अवतार युधिष्ठिर देवा , अर्जुन भीम नकुल सहदेवा |
योग युक्ति पार्थ हिय धारा , दुर्योधन दल सहित संहारा |
योग युक्ति पांचाली जानी , दुशासन से यह प्रण ठानी |
पावूं रक्त न जब लग तेरा , खुला रहे यह शीश मेरा |
योग युक्ति सीता उद्धारी , दशकन्धर से गिरा उच्चारी |
पापी तेरा वंश मिटाऊँ , स्वर्ण लंका विध्वंस कराऊँ |
श्री रामचंद्र को यश दिलाऊं , तो मैं सीता सती कहाऊँ |
योग युक्ति अनसूया कीनो , त्रिभुवननाथ साथ रस भीनो |
देव दत्त अवधूत निरंजन , प्रगट भए आप जगवंदन |
योग युक्ति मैनावती कीन्ही , उत्तम गति पुत्र को दीन्ही |
योग युक्ति की बांछल मातू , गोगा जाने जगत विख्यातू |
योग युक्ति मीरा ने पाई , गढ चित्तौड़ में फिरी दुहाई |
योग युक्ति अहिल्या जानी , तीन लोक में चली कहानी |
सावित्री सरस्वती भवानी , पार्वती शंकर मनमानी |
सिंह भवानी मनसा माई , भद्रकाली सहजा बाई |
कामरू देश कामाक्षा जोगन , दक्षिण में तुलजा रस भोगन |
उत्तर देश शारदा रानी , पूरब में पाटन जग मानी |
पश्चिम में हिंगलाज बिराजे , भैरवनाद शंख ध्वनि बाजे |
नवकोटी दुर्गा महारानी , रूप अनेक वेड नहीं जानी |
काल रूप धर दैत्य संहारे , रक्त बीज रण खेत पछारे ।
मैं जोगन जग उत्पत्ति करती , पालन करती संहार करती |
जती सती की रक्षा करनी , मार दुष्ट दल खप्पर भरनी |
में श्री नाथ निरंजन की दासी , जिनको ध्यावे सिद्ध चौरासी |
योग युक्ति से रचे ब्रम्हाण्डा , योग युक्ति थरपे नवखण्डा |
योग युक्ति तप तपे महेश , योग युक्ति धर धरे हैं शेष |
योग युक्ति विष्णु तन धारे , योग युक्ति असुरन दल मारे |
योग युक्ति गजानन जाने , आदि देव त्रिलोकी माने |
योग युक्ति करके बलवान , योग युक्ति करके बुद्धिमान |
योग युक्ति करा पावे राज , योग युक्ति कर सुधारे काज |
योग युक्ति योगेश्वर जाने , जनकादिक सनकादिक माने |
योग युक्ति मुक्ति का द्वार , योग युक्ति बिन नहीं निस्तारा |
योग युक्ति जाके मन भावे , ताकि महिमा कही न जावे |
जो नर पढ़े सिद्ध चालीसा , आदर करे देव तैंतीसा |
साधक पाठ पढ़े नित्य जो कोई , मनोकामना पूरण होई |
धुप दीप नैवेद्य मिठाई , रोट लंगोट भोग लगाई |

दोहा

रतन अमोलक जगत में , योग युक्ति है मीत |
नर से नारायण बने , अटल योगी की रीत |
योग विहंगम पंथ को , आदिनाथ शिव कीन्हा |
शिष्य प्रशिष्य परंपरा , सब मानव को दीन्हा |
प्रातःकाल स्नान कर , सिद्ध चालीसा ज्ञान |
पढ़े सुने नर पावही , उत्तम पड़ा निर्वाण |
इति चौरासी सिद्ध चालीसा संपूर्ण भया |
श्री नाथजी गुरूजी को आदेश | आदेश |
गुरु गोरक्षनाथ भगवान की जय |


चौरासीनाथ सिद्धों को आदेश आदेश.....

23 May 2016

निच्छित अप्सरा सिद्धी.

सुंदर और बेहद आकर्षक.... सही मायनों में शायद यही है अप्सराओं की परिभाषा। हिन्दू पौराणिक ग्रंथों एवं कुछ बौद्ध शास्त्रों द्वारा भी अप्सराओं का ज़िक्र किया गया है। जिसके अनुसार ये काल्पनिक, परंतु नितांत रूपवती स्त्री के रूप मे चित्रित की गई हैं। यूनानी ग्रंथों मे अप्सराओं को सामान्यत: 'निफ' नाम दिया गया है।
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इन अप्सराओं का कार्य स्वर्ग लोक में रहनी वाली आत्माओं एवं देवों का मनोरंजन करना था। वे उनके लिए नृत्य करती थीं, अपनी खूबसूरती से उन्हें प्रसन्न रखती थीं और जरूरत पड़ने पर वासना की पूर्ति भी करती थीं। लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है यह कोई नहीं जानता, क्योंकि इनका उल्लेख अमूमन ऐतिहासिक दस्तावेजों में ही प्राप्त हुआ है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अलावा अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी अप्सराओं का उल्लेख पाया गया है। लेकिन इनके नाम काफी भिन्न हैं। चीनी धार्मिक दस्तावेजों में भी अप्सराओं का ज़िक्र किया गया है, लेकिन शुरुआत हम हिन्दू इतिहास से करेंगे।
हिन्दू इतिहास की बात करें ऋग्वेद के साथ-साथ महाभारत ग्रंथ में भी कई अप्सराओं का उल्लेख पाया गया है।

अप्सराएँ निच्छित सिद्ध हो सकती है परंतु इसके लिये साधक को सय्यम रखना आवश्यक है। जो साधक सय्यम खो देते है,उनको तो कई जन्मो तक अप्सराएँ सिद्ध नही हो सकती है। यहा आजकल कुछ लोग अप्सरा को प्रत्यक्ष करने का दावा करते,जिसे मै एक अफवा मानता हू । क्युके आजकल के दुनिया मे चाहे कोई कितना भी प्रेम करता हो या सुंदर लड़का हो,उसको किसी गलि की लड़की को पटाने मे 3-4 महिने लग जाते है और यहा लोग बात करते है एक देवकन्या जो अत्यंत सुंदर है उस अप्सरा को प्रत्यक्ष करने की । सोचो येसे सुंदर अप्सरा को प्रत्यक्ष करने मे कितना समय लगेगा ? तंत्र शास्त्र मे 108 अप्सराओं का वर्णन मिलता है,जिनका आज के समय मे किसीको नाम तक पता नही चला और एक प्राचीन किताब मे लिखा हुआ है "जब तक 108 अप्सराओं की रजामंदी ना मिल जाये तब कोई भी एक विशेष अप्सरा किसी भी साधक के सामने प्रत्यक्ष नही हो सकती है" और इस बात का प्रमाण भी हमे देखने मिलता है।

आप सभी जानते है,श्री हनुमानजी जी के माता का नाम "अंजनी" था,माता अंजना देवी स्वयं एक अप्सरा थी । देवताओ के कार्यपुर्ति हेतु उन्होंने धरती पर जन्म लिया था। उनका उद्देश्य सिर्फ हनुमानजी को जन्म देना ही नही बल्कि उनका पालन-पोषण करने के साथ साथ उन्हे अच्छे सन्स्कार से पुर्ण करना था। उनको धरती पर जन्म लेने हेतु समस्त अप्सराओं की रजामंदी लेनी पडी थी और एक समय येसा भी आया था के "उन्हे बाल हनुमानजी को छोड़कर अप्सरा लोक वापिस जाना पडा था क्युके समय काल के हिसाब से उनका धरती पर कार्यकाल पुर्ण हो गया था" । उस समय अचानक अपने माता से दुर हो जाने के वजेसे बाल हनुमानजी का व्यथा बहोत खराब हो चुका था और ममता स्वरुप समस्त अप्सराओं ने देवराज इंद्र से पुनः निवेदन करके माता अंजना देवि को धरती पर भेजने का प्रस्ताव रखा था । देवराज इन्द्र ने उस समय यह गोपनियता स्पष्ट की थी,जिसमें उन्होंने कहा था "अगर आप समस्त अप्सराओं की रजामंदी (अनुमति) है,तो अंजना देवि को पुनः धरती लोक पर भेज सकते है"। तो इस तरह से देवि अंजना माता को पुनः धरती लोक पर आकर हनुमानजी को एक महाबली बनाने मे समस्त अप्सराओं की मदत प्राप्त हुई।

यह सिर्फ एक कहानी नही है अपितु अप्सरा साधक के लिये गोपनिय रहस्य है। जब अप्सरा साधक 21 दिनो तक "सर्व अप्सरा सिद्धी यंत्र" के सामने बैठकर "सर्व अप्सरा सिद्धी शाबर मंत्र" का जाप करता है तो उसके लिये स्वयं समस्त अप्सराएँ किसी भी एक विशेष अप्सरा को सिद्ध करने हेतु सहायता करती है। जब कोई भी अप्सरा साधक यह सर्व अप्सरा सिद्धी शाबर मंत्र का 21 दिनो तक जाप कर लेता है तो कोई भी एक अप्सरा उसका इच्छित कार्य पुर्ण कर देती है। सर्व अप्सरा सिद्धी यंत्र को भोजपत्र पर विशेष मुहुर्त मे बनाया जाता है,जिसपर सुर्य के रोशनी के साथ शुक्र ग्रह के होरा का ध्यान रखकर निर्मित किया जाता है। भोजपत्र पर यंत्र निर्मित हो जाने के उपरांत कुछ विशेष जडीबुटियो के माध्यम से सर्व अप्सरा सिद्धी यंत्र का निर्माण होता है। जैसे चंद्रनाग, मनमोहीनी, मायाजाल, लज्जावती, केसर, जटाशंकर......इत्यादि 11 प्रकार की जडीबुटिया इस ताबीज स्वरुप यंत्र मे स्थापित करना आवश्यक है। साथ मे सर्व अप्सरा सिद्धी माला जो डबल झिरो साईज का हो,जिससे जाप करते समय आसानी हो और वह माला भी "क्लीम्" बीज मंत्र के साथ क्रोध भैरव के मुल मंत्र से सिद्ध करना आवश्यक है। इस साधना को करने के बाद ही विशेष अप्सरा साधना को सम्पन्न करने से प्रत्यक्ष अप्सरा साधना सिद्धी सम्भव है,जो इस साधना को सम्पन्न करने मे तत्पर ना हो,उन्हे अप्सरा साधना सिद्धी मे सफलता प्राप्त करना  एक मुश्किल कार्य हो सकता है।

जो साधक सर्व अप्सरा सिद्धी एवं विशेष अप्सरा (मेनका , उर्वशी , रम्भा , लिलावती ,.......नाभीदर्शना ..... इत्यादि) साधना सम्पन्न करना चाहते है,वह हमसे सम्पर्क करे । हमसे प्रामाणिक एवं प्राण-प्रतिष्ठीत चैतन्य साधना सामग्री प्राप्त करने हेतु हमारे ई-मेल आय.डी. पर ईमेल भेजकर सम्पर्क करे- amannikhil011@gmail.com पर ।इस साधना को सम्पन्न करने हेतु आपको सर्व अप्सरा सिद्धी शाबर यंत्र और माला भेज दिया जायेगा,इस सामग्री को प्राप्त करने हेतु आपको 5150/-रुपये न्योच्छावर राशि देना होगा। इस साधना सामग्री के साथ विशेष अप्सरा यंत्र और सर्व अप्सरा सिद्धी दीक्षा निशुल्क मे दीया जायेगा। आपसे धनराशि प्राप्त होने के बाद 2-3 दिनो मे हमारे तरफ से साधना सामग्री भेज दिया जायेगा और सर्व अप्सरा सिद्धी दीक्षा फोटो पर साधना प्रारंभ करने से एक दिवस पहिले दिया जायेगा।

सर्व अप्सरा सिद्धी दीक्षा के माध्यम से साधक को अप्सरा साधना मे विशेष अनुभूतियाँ हो सकती है,जिसके माध्यम से साधक अपने जिवन मे सभी प्रकार के सुख प्राप्त कर सकता है। अप्सरा साधना से पुरे जिवन बदला जा सकता है ।





आदेश.....

10 May 2016

जिन-जिन्नात सिद्धि.

जिन्नात और जिन्न अलग अलग है मगर यह हमारे बीच ही आम इन्सान की तरह ही रहते है और हम उन्हें पहचान नही पाते है । जिन्न व जिन्नातों में भी अच्छे बुरे होते है । जिन्नो को पांच रंग की मिठाई बहुत पसंद होती है और यह पवित्रता से रहते है । कुछ जिन्न येसे होते है जिनको ताजे बकरे का घोश चढाते है और उसके खुशबू से जिन्न घोश के पास आजाते है। जब जिन्न घोश के पास आये तो कुछ हरकतें दिखाई देता है,उसी समय बंधन मार देने से जिन्न काबु मे आजाता है। ये तरिका आसान है परंतु इस प्रक्रिया मे साधक को बहोत ज्यादा सावधानी से काम लेना पड़ता है। मै यहा आज एक येसा क्रिया बता रहा हू जिससे जिन्न सिद्धि आसान है। जिन्नो से काम करवाना बहोत कठिन माना जाता है क्युके वह हर काम के बाद अपनी मनपसंद चिजे मांगता है,जिसे उनको देना ही पडता है । परंतु मै जो क्रिया बता रहा हू इसमे सिर्फ पांच रंग का मिठाई ही देना पडता है,इस क्रिया मे जिन्न अपना मनपसंद चिज नही मांग सकता है।


इस्लाम मे "नादे-अली " बहोत प्रचलित है। आप चाहो तो गूगल पर "नादे अली" सर्च करके देखिये तो आपको पता चल जायेगा,इस दुनिया मे जितनी भी परेशानीया है उसको नादे अली का वझीफा (मंत्र) पढ़ने से हर परेशानी से मुक्ति मिलता है। हर समस्या का समाधान नादे अली का एक छोटासा वझीफा है परंतु हिंदू भाई/बहनो के लिये यह वझीफा पढना आसान कार्य नही है क्युके इस्लाम के नियमो का पालन करना नमाज़ पढना,ये किसी भी हिंदू को नही करना चाहिए। इसमे किसी भी प्रकार की गलती को माफी नहि है,इसलिये एक और तरिका है जिससे नादे अली जी से सभी कार्य आसानी से विनम्रता पुर्वक किये जा सकते है। नादे अली जी के प्रसन्न होने पर वह आसानी से साधक को जिन्न-जिन्नात दे देते है। उनको प्रसन्न करने से हर मुराद (इच्छा) पुर्ण हो सकती है,इसमे कोइ संशय नही है। चाहे नोकरी का समस्या हो,शादी या प्रेमविवाह का समस्या हो,शत्रु से पिडा का समस्या हो,काले जादू से परेशानी हो जिसे हम तंत्र बाधा कहते है तो इस प्रकारा से सभी समस्याओं का समाधान नादे अली जी कम समय मे ही करवा देते है।


मेरा एक मित्र का छोटा भाइ है,जो इंजिनियर के पढाई को पुरा करने के बाद मुम्बई मे मनचाहा नोकरी ढुंडने मे लग गया परंतु उसे नोकरी नही मिला। मैने उसको नादे अली का चिराग दिया और उसको इस्तेमाल कैसे करना है बता दिया। उसने जैसे चिराग का इस्तेमाल शुरु किया उसके 10 दिनो बाद ही उसको अच्छे जगहें से नोकरी करने के लिये बुलावा आया। वो इस चमत्कारा से हैरान हो गया और बताने लगा "भैय्या जहा जहा मैने अप्लाइ किया था,उसमे से 60% लोगो मुझे नोकरी देने के लिये तय्यार हो गये है"। फिर भी मैने उसको 24 दिनो तक चिराग का इस्तेमाल करने का राय दिया और 24 दिनो बाद एक फ्रेशर विद्यार्थी आज MNC मे अच्छे पद पर नोकरी कर रहा है।

एक ओर येसे मित्र है जिनका जिवन उनके पत्नि के वजेसे नर्क बन चुका था परंतु आज स्वर्ग के आनंद उठा रहे है। उनकी पत्नि अब उनके कहेनुसार काम करती है,आज उनकी पत्निपिडा समाप्त हो चुकी है। एक व्यापारी है पहेचान के जो आज के समय मे चिराग का इस्तेमाल पिछले कई महिनो से कर रहे है। उनका अनुभव बहोत बढिया रहा,एक तो घाटे मे चल रहा हुआ व्यापार अब उन्नति पर है और 4-5 लाख रुपये का कर्ज भी अब खत्म होने पर है।


नादे अली के चिराग का इस्तेमाल कोइ भी कर सकता है। इसमे किसी धर्म से जुड़ा कोइ सवाल नही है,जिसको भी किसी प्रकार का परेशानी हो वह नादे अली चिराग के इस्तेमाल से अपने सभी समस्याओं पर विजय प्राप्त कर सकता है।

नादे-अली-चिराग पर जिन्न को सिद्ध करना एक आसान कार्य है परंतु इसमे समय थोड़ासा ज्यादा लगता है। जैसे जिन्न को सिद्ध करने के लिये बकरे के घोश का इस्तेमाल करे तो तीन दिनो मे जिन्न सिद्ध होता है तो इत्र के खुशबू से सिद्ध करना चाहो तो 7-8 दिन लगते है। उद जो कइ प्रकार के होते है,इसमे तिलस्मी उद और एकधारी उद का इस्तेमाल करो तो 15-20 दिनो मे जिन्न सिद्ध होता है । नादे अली के चिराग का इस्तेमाल करो तो एक दिन मे भी हो सकता है या फिर ज्यादा से ज्यादा 41 दिनो मे जिन्न सिद्ध हो सकता है । अब ये अपनी किस्मत समजीये के एक दिन मे नादे अली जी को प्रसन्न करके जिन्न को सिद्ध किया जा सकता है अन्यथा नादे अली जी कुछ दिनो मे जिन्न तो दे सकते है। इस क्रिया मे हमे रोज 25-30 मिनट का समय देना पडता है,इतना समय जिन्न को सिद्ध करने के लिये कोई भी निकाल सकता है। क्रिया बहोत ज्यादा आसान है और इसमे सभी नियम आसान है।


इसमे हमारा ध्येय तो जिन्न को सिद्ध करने का है परंतु यह क्रिया करने से हमारे सभी समस्याओं का समाप्त होना भी सम्भव है। मै इस पोस्ट मे नादे अली जी के चिराग का फोटो भी दे रहा हूँ। इस चिराग को चैतन्य और जागृत किया जाता है ताकी साधक को पुर्ण सफलता मिल सके । इस चिराग का इस्तेमाल करना बहोत आसान है,इस पर अलग प्रकार के शाबर मुस्लिम मंत्रो का जाप करना होता है और यह मंत्र गोपनीय है,जो किताबें मे नही दिये गये है। इस पर वझीफा पढ़ने से शिघ्र कार्य सिद्ध होता है,हमारे तरफ से आपको जागृत चिराग प्राप्त होगा जो तिव्र काम करता है। जिन्न का चिराग तो हमने कुछ वर्ष पहिले टि.वी. मे किसी सिरियल मे देखा था,कहेते है येसे चिराग आज भी अरब देशो मे मौजुद है और उस चिराग को सिद्ध करने के गोपनिय मंत्र हमारे शाबर मंत्र विद्या मे आज भी हमे देखने मिलते है। इस प्रकार से कुरान (2:186) मे नादे अली जी का वझीफा दिया हुआ है,वह इस प्रकार से है-


“NAAD-E-‘ALI YYAM MAZHARIL ‘AJAAIBI TAJID HU ‘AWNALLAKA FINNAWAA IBI QULLU HAMINWWA ‘GHAMMIN SAYANJALI BI RAHMATIKA YA ALLAHU WABI NABUWWATIKA YA MUHAMMADU WABI WIL AYAATIKA YA ALIYYU YA ALIYYU YA ALI”


वझीफा पढ़ने से 360 प्रकार के फायदे "nad-e-ali-shareef" गूगल पर सर्च किया जाये तो आपको पढने मिलेंगे । हिंदू भाइओ के लिये यह वझीफा ( मंत्र ) पढना मुश्किल है,क्युके इसको इच्छापुर्ती के लिये पढ़ने हेतु कुछ नियम दिये हुए है। जिसे पालन करना हम हिंदूओं के लिये कठिन है परंतु इसको पढने का एक आसान तरिका भी है और वह तरिका हम नादे अली चिराग पर आसानी से पढ सकते है,जिसके नियम भी आसान है। जाग्रत चिराग पर मंत्र जाप करने से जिन्न सिद्धी निःसंदेह शिघ्र प्राप्त हो सकती है। आपको इसमे अवश्य सफलता मिलेगा यह मुझे विश्वास है,अनुभव के आधार पर यह लिखना कोइ बडी बात नही है के खोया हुआ प्यार,इज्जत और धन वापस पाना नादे अली जी के चिराग से आसान है।मुझे जिवन मे जब भी किसी चिज का जरुरत पडता है तब मै नादे अली जी के चिराग का इस्तेमाल करता हूं और मेरा काम हो जाता है। जिस साधक को यह जाग्रत चिराग प्राप्त करना हो वह ईमेल से सम्पर्क कर सकते है- amannikhil011@gmail.com पर । चिराग के साथ सभी प्रकार का मंत्र विधि-विधान भी दिया जायेगा,जिसके पास नादे अली जी का चिराग हो उसको दुनिया के सामने हाथ फैलाने का जरुरत नही पडता है। वह जब चाहे खुद ही अपना मनचाहा मुराद पुरा करवा सकता है। जाग्रत नादे अली जी का चिराग 3100/-रुपये मे दिया जायेगा और एक बार गूगल पर नादे अली जी के बारे मे सर्च करके देखिये तो आप सभी साधक खुद ही जान जायेगे "अब आपका प्रत्येक मनोकामना पुर्ण होनेवाला है"। इस बार तो आपको जिन्न सिद्ध करना ही है और मुझे विश्वास है आप सभी साधको पर के "आप इस बार जिन्न को सिद्ध किये बिना नही रहोगे "। आप सभी पर मातारानी को असिम कपा बरसे,यही मातारानी से प्रार्थना करता हूं।



'काफिर के हक में कहरे खुदा है अली का नाम, मोमिन के हक में रद्दे बला है अली का नाम, 'यावर' लबे हयात पे नादे अली रहे, मुश्किल में बेहतरीन दुआ है अली का नाम'।



नोट:-इस चिराग से किसी भी प्रकार का कोई भी बुरा कार्य ना करे । यह चिराग कोई साधारण चिराग नही है,इससे अच्छे कार्य करने चाहिये । हो सकता है कुछ साधक चिराग से अनजान व्यक्ति पर वशीकरण प्रयोग करे,वशीकरण प्रयोग सफल तो हो जायेंगा परंतु ज्यादा समय तक उसका असर नही रहेगा । इसलिये जब भी आप येसे प्रयोग करो तो सोच समझकर करे,जो दिल से सच्चा प्रेम करते है,उन्हें तो यह चिराग बहोत अच्छे परिणाम देगा। मै आशा करता हू,कोई भी व्यक्ति चिराग का गलत इस्तेमाल नही करेगा ।





आदेश......

25 Apr 2016

ग्रह शान्ति उपाय.

आसान उपायों द्वारा ग्रहों की नाराजगी दूर करें -

1)सूर्य- भूल कर भी झूठ न बोलें,सूर्य का गुस्सा कम हो जाएगा । झूठ क्या है झूठ वो है जो अस्तित्व में नहीं है और यदि हम झूठ बोलेंगे तो सूर्य को उसका अस्तित्व पैदा करना पडेगा आश्चर्य की कोई बात नहीं है । ये नौ ग्रह हमारे जीवन के लिए ही अस्तित्व में आये हैं सूर्य का काम बढ़ जाएगा और मुश्किल भी हो जाएगा ।

2)चंद्रमा - जितना ज्यादा हो सके सफाई पसंद हो जाईये ,और साफ़ रहिये भी -चंद्रमा का गुस्सा कम हो जाएगा । चंद्रमा को सबसे ज्यादा डर राहू से लगता है । राहू अदृश्य ग्रह है ,राहू क्रूर है,हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी में राहू गंदगी है । हम हमारे घर को, आसपास के वातावरण को कितना भी साफ़ करें -उसमें ढूँढने जायेंगे तो गंदगी मिल ही जायेगी ,या हम हमारे घर और आस पास के वातावरण को कितना भी साफ़ रखें वो गंदा हो ही जाएगा और हम सब जानते हैं कि गंदगी कितनी खतरनाक हो सकती है और होती है । ज़िंदगी के लिए ,न जाने कितने बेक्टीरिया , वायरस ,जो अदृश्य होते हुए भी हमारी ज़िंदगी को भयभीत कर देते हैं ,बीमार करके ,ज़िंदगी को खत्म तक कर देते हैं , चंद्रमा (जो सबके मन को आकर्षित करता है स्वय राहू के मन को भी) राहू से डरता है । अतः यदि आप साफ़ रहेंगे तो चंद्रमा को अच्छा लगेगा और उसका क्रोध शांत रहेगा , चंद्रमा का गुस्सा उतना ही कम हो जाएगा ।

3)मंगल- यह ग्रह सूर्य का सेनापती ग्रह है भोजन में गुड है । सूर्य गेंहू है रविवार को गेहूं के आटे का चूरमा गुड डालकर बनाकर खाएं खिलाये ,मंगल को बहुत अच्छा लगेगा । सूर्य गेहूं है -मंगल गुड है और घी चंद्रमा है ,अब तीनो प्रिय मित्र हैं तो तीन मित्र मिलकर जब खुश होंगे तो गुस्सा किसे याद रहेगा ।

4)बुध - बुध ग्रह यदि आपकी जन्म पत्रिका में क्रोधित है तो बस तुरंत मना लीजिये । गाय को हरी घास खिलाकर उसको प्रसन्न करना हैं धरती और गाय दोनों शुक्र ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है । हरी घास जो बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है -बुध ग्रह का रंग हरा है ,वो बच्चा है नौ ग्रहों में शारीरिक रूप से सबसे कमजोर और बौद्धिक रूप में सबसे आगे आगे । बुध घास है जो पृथ्वी के अन्य पेड़ पौधों के मुकाबले कमजोर है बिलकुल बुध ग्रह की तरह , घास भी शारीरिक रूप से बलवान नहीं होती है मगर ताकत देने में कम नहीं अतः बुध स्वरूप ही है । हरी हरी घास से सजी धरती कितनी सुंदर और खुश दिखती है । घास =बुध और धरती = शुक्र इसी तरह गाय हरी -हरी घास खा कर कितनी खुश होती है इसलिए - हरी- हरी घास =बुध ग्रह और गाय और धरती शुक्र इसलिए गाय को हरी हरी घास खिलाएंगे तो दो बहुत अच्छे दोस्तों को मिला रहे होंगे, ऐसी हंसी खुशी के वातावरण में हर कोई गुस्सा थूक देता है और बुध ग्रह भी अपना क्रोध शांत कर लेंगे ।

5)बृहस्पति -चने की दाल parrots को खिलादे , बृहस्पति कभी गुस्सा नहीं करेंगे । चने की दाल पीले रंग की होती है और बृहस्पति भी पीले रंग के हैं ।
बृहस्पति का भी घनत्व सौरमंडल में ज्यादा है और चने की दाल भी हलकी फुल्की नहीं होती पचाने में हमारी आँतों को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है ।
तोता हरे रंग का होता है , बुध ग्रह भी हरे रंग का होता है । तोता भी दिन भर बोलता रहता है और बुध ग्रह भी बच्चा होना के कारण बोलना पसंद करता है । अतः तोता =बुध ग्रह और चने की दाल = बृहस्पति ग्रह
बुध ग्रह बृहस्पति के जायज पुत्र और चंद्रमा के नाजायज पुत्र है। बुध के पिता बृहस्पति हैं और बृहस्पति के चंद्रमा अच्छे मित्र हैं और बृहस्पति की पत्नी तारा ने चंद्रमा से नाजायज शारीरिक सम्बन्ध बनाकर बुध ग्रह को जन्म दिया था इस बात से बृहस्पति अपनी पत्नी तारा से नाराज़ रहते है और बुध की माँ से नाराज़ रहने के कारण अपने जायज पिता बृहस्पति से बुध ग्रह नाराज़ रहता है । इस बात से बृहस्पति दुखी रहता है अतः जब तोता जो बुध स्वरूप है जब चने की दाल खाकर पेट भरेगा और खुश होगा तो बृहस्पति को खुशी मिलेगी और गुस्सा तो अपने आप कम हो जाएगा ।

6)शुक्र - यदि नाराज़ हो तो गाय को रोटी खिलाओ .
सूर्य गेहूं है और शुक्र गाय । किस बलवान व्यक्ति को उसके खुद के अलावा कोई और राजा हो तो अच्छा लगता है । शुक्र को भी सूर्य के अधीन रहना पसंद नहीं है अतः जब आप उसके शत्रु सूर्य जो गेहूं को गाय जो शुक्र है को खिलाएंगे तो वो अपने आप ही गुस्सा भूल जाएगा ।

7)शनि- जिस किसी से भी नाराज़ हो तो उसकी पीड़ा तो बस वो खुद ही जानता है । शनि समानतावादी है ,
ये बड़ा है और ये छोटा है ऐसी बातें शनि को क्रोधित कर देती है, क्योंकि शनि सूर्य (राजा ) का पुत्र है और उसके पिता सूर्य ने उसकी माँ का सम्मान नहीं किया इसलिए शनि को अपनी माँ छाया से प्यार होने के कारण सूर्य पर बहुत गुस्सा आता है । किसी का बड़े होने का अहं उनको पसंद नही है। अहंकार छोड़ देने से शनि भगवान का कृपा प्राप्त होता है।




आदेश.....

18 Apr 2016

काली सहस्त्राक्षरी

माँ कालिका का स्वरूप जितना भयावह है उससे कही ज्यादा मनोरम और भक्तों के लिए आनंददायी है। काली माता को शक्ति और बल की देवी माना जाता है। अपने जीवन से भय, संकट, इच्छा अनुसार फल पाने के लिए काली माता को प्रसन्न करना चाहिए। आमतौर पर मां काली की पूजा सन्यासी तथा तांत्रिक किया करते हैं। माना जाता है कि मां काली काल का अतिक्रमण कर मोक्ष देती है। आद्यशक्ति होने के नाते वह अपने भक्त की हर इच्छा पूर्ण करती है। तांत्रिक तथा ज्योतिषियों के अनुसार मां काली के कुछ मंत्र ऐसे हैं जिन्हें एक आम व्यक्ति अपने रोजमर्रा के जीवन में अपने संकट दूर करने के लिए प्रयोग कर सकता है।

यही एक मंत्र येसा है जिससे कोइ भी कार्य सम्भव है। मैने इस मंत्र के बहोत सारे अनुभव देखे है और गारंटी के साथ बोल सकता हू "इस मंत्र से अनुभव होता है"।
इस मंत्र के कई प्रयोग है जिन्हे लिखना सम्भव तो नही है परंतु कुछ प्रयोग बता देता हूं।

प्रयोग 1-जब स्वास्थ खराब हो तब मंत्र का 108 बार पाठ करके शुद्ध जल पर तिन बार फुंक मारकर जल को रोगी को पिला दे तो कुछ देर मे रिसल्ट देखने मिलेगा।

प्रयोग 2-कोई इच्छा हो मन मे जो पुर्ण नही हो रही हो तो शनिवार के रात्री मे महाकाली जी के चित्र के सामने चमेली के तेल का दिपक लगाये और मंत्र का 3 माला जाप कालि हकिक माला से 7 दिनो तक करे तो अवश्य इच्छा पुर्ण होगी।

प्रयोग 3-हर समय हमे रक्षा कवच का आवश्यकता होता है,जिससे हम बुरे शक्तियों से बच सके तो इसके लिये "ताम्बे के पेटी (ताबीज) मे 7 काले तिल के साथ दो पपिते के बीज भरकर,ताबीज को देखते हुए मंत्र का 108 बार जाप करके धारण करले तो सभी बुरे शक्तियों से रक्षा होता है "।

प्रयोग 4-अगर आप किसीसे सच्छा शुद्ध प्रेम करते हो और उसको वश मे करना चाहते हो तो "जिसे वश मे करना हो उसके फोटो को देखते हुए मंत्र का रोज शुक्रवार को रात्री मे 3 माला जाप स्फटिक माला से 11 दिनो तक करे और बारहवें दिन काले किशमिश का 11 माला आहुति हवन मे दिजिये तो 7 दिनो मे इच्छित व्यक्ति वश होता है "।


मंत्र-

।। ॐ जयन्ति मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते ।।


मंत्र का महत्व और अर्थ:

1)ॐ जयन्ती — जयति सर्वोत्कर्षेण वर्तते इति ‘जयन्ती‘—सबसे उत्कृष्ट एवं विजयशालिनी ।।

2) ॐ मङ्गला –मङ्गं जननमरणादिरूपं समर्पणं
भक्तानां लाति गृह्णाति नाशयति या सा मङ्गला मोक्षप्रदा —जो अपने भक्तों के जन्म -मरण आदि संसार बन्धनको दूर करती है उन मोक्ष दायिनी मंगलमयी देवीका नाम ‘मङ्गला’ है ।।

3) ॐ काली — कलयति भक्षयति प्रलयकाले सर्वम् इति ‘काली’ — जो प्रलयकालमे सम्पूर्ण सृष्टि को अपना ग्रास बना लेती है ; वह ‘काली ‘ है ।।

4) ॐ भद्रकाली — भद्रं मङ्गलं सुखं वा कलयति स्वीकरोति भक्तेभ्यो दातुम् इति भद्रकाली सुखप्रदा -जो अपने भक्तों को देनेके लिए ही भद् , सुख किंवा मंगल स्वीकार करती है , वह ‘भद्रकाली’ है ।।

5) ॐ कपालिनी –धारयति हस्ते कपाल मुण्डभूषिता च
या सा कपालिनी — हातमे कपाल तथा गलेमे मुण्डमाला धारण करने वाली ।।

6) ॐ दुर्गा –दुःखेन अष्टाङ्गयोगकर्मोपासनारूपेण क्लेशेन गम्यते प्राप्यते या सा ‘दुर्गा’ –जो अष्टांगयोग, कर्म एवं उपासनारूप दुःसाध्य साधन से प्राप्त होती है , वे जगदम्बिका ‘दुर्गा’ कहलाती है ।।

7) ॐ क्षमा –क्षमते सहते भक्तानाम् अन्येषां वा सर्वानपराधान् जननीत्वेनातिशयकरूणामयस्वभावादिति ‘क्षमा’ — सम्पूर्ण जगत् की जननी होनेसे अत्यन करूणामय स्वभाव होनेके कारण जो भक्तों अथवा दूसरों के भी सारे अपराध क्षमा करती है , उनका नाम ‘क्षमा’ है ।।

ॐ शिवा — सबका कल्याण अर्थात शिव
करनेवाली जगदम्बाको ‘शिवा ‘ कहते है ।।

9) ॐ धात्री –सम्पूर्ण प्रपंचको धारण करनेके कारण भगवती का नाम ‘धात्री’ है ।।

10) ॐ स्वाहा –स्वाहारूपसे यज्ञभाग ग्रहण करके देवताओं का पोषण करनेवाली भगवती को ‘स्वाहा ‘ कहते है ।।

11) ॐस्वधा — स्वधारूपसे श्राद्ध और तर्पणको स्वीकार करके पितरोंका पोषण करनेवाली भगवती को ‘स्वधा ‘ कहते है ।।

इन नामों से प्रसिद्ध जगदम्बिके ! तुम्हे मेरा नमस्कार हो । देवि चामुण्डे ! तुम्हारी जय हो ।सम्पूर्ण
प्राणियोंकी पीडा हरनेवाली देवि ! तुम्हारी जय हो ।सबमे व्याप्त रहने वाली देवि ! तुम्हारी जय हो ।कालरात्रि ! तुम्हें नमस्कार हो ।।

मंत्र जाप के बाद काली सहस्त्राक्षरी का कम से कम एक पाठ करने से मंत्र से अनुकूल रिसल्ट अवश्य ही शिघ्र प्राप्त होंगे।


।। श्री काली सहस्त्राक्षरी ।।

ॐ क्रीं क्रीँ क्रीँ ह्रीँ ह्रीँ हूं हूं दक्षिणे कालिके क्रीँ क्रीँ क्रीँ ह्रीँ ह्रीँ हूं हूं स्वाहा शुचिजाया महापिशाचिनी दुष्टचित्तनिवारिणी क्रीँ कामेश्वरी वीँ हं वाराहिके ह्रीँ महामाये खं खः क्रोघाघिपे श्रीमहालक्ष्यै सर्वहृदय रञ्जनी वाग्वादिनीविधे त्रिपुरे हंस्त्रिँ हसकहलह्रीँ हस्त्रैँ ॐ ह्रीँ क्लीँ मे स्वाहा ॐ ॐ ह्रीँ ईं स्वाहा दक्षिण कालिके क्रीँ हूं ह्रीँ स्वाहा खड्गमुण्डधरे कुरुकुल्ले तारे ॐ. ह्रीँ नमः भयोन्मादिनी भयं मम हन हन पच पच मथ मथ फ्रेँ विमोहिनी सर्वदुष्टान् मोहय मोहय हयग्रीवे सिँहवाहिनी सिँहस्थे अश्वारुढे अश्वमुरिप विद्राविणी विद्रावय मम शत्रून मां हिँसितुमुघतास्तान् ग्रस ग्रस महानीले वलाकिनी नीलपताके क्रेँ क्रीँ क्रेँ कामे संक्षोभिणी उच्छिष्टचाण्डालिके सर्वजगव्दशमानय वशमानय मातग्ङिनी उच्छिष्टचाण्डालिनी मातग्ङिनी सर्वशंकरी नमः स्वाहा विस्फारिणी कपालधरे घोरे घोरनादिनी भूर शत्रून् विनाशिनी उन्मादिनी रोँ रोँ रोँ रीँ ह्रीँ श्रीँ हसौः सौँ वद वद क्लीँ क्लीँ क्लीँ क्रीँ क्रीँ क्रीँ कति कति स्वाहा काहि काहि कालिके शम्वरघातिनी कामेश्वरी कामिके ह्रं ह्रं क्रीँ स्वाहा हृदयाहये ॐ ह्रीँ क्रीँ मे स्वाहा ठः ठः ठः क्रीँ ह्रं ह्रीँ चामुण्डे हृदयजनाभि असूनवग्रस ग्रस दुष्टजनान् अमून शंखिनी क्षतजचर्चितस्तने उन्नस्तने विष्टंभकारिणि विघाधिके श्मशानवासिनी कलय कलय विकलय विकलय कालग्राहिके सिँहे दक्षिणकालिके अनिरुद्दये ब्रूहि ब्रूहि जगच्चित्रिरे चमत्कारिणी हं कालिके करालिके घोरे कह कह तडागे तोये गहने कानने शत्रुपक्षे शरीरे मर्दिनि पाहि पाहि अम्बिके तुभ्यं कल विकलायै बलप्रमथनायै योगमार्ग गच्छ गच्छ निदर्शिके देहिनि दर्शनं देहि देहि मर्दिनि महिषमर्दिन्यै स्वाहा रिपुन्दर्शने दर्शय दर्शय सिँहपूरप्रवेशिनि वीरकारिणि क्रीँ क्रीँ क्रीँ हूं हूं ह्रीँ ह्रीँ फट् स्वाहा शक्तिरुपायै रोँ वा गणपायै रोँ रोँ रोँ व्यामोहिनि यन्त्रनिकेमहाकायायै प्रकटवदनायै लोलजिह्वायै मुण्डमालिनि महाकालरसिकायै नमो नमः ब्रम्हरन्ध्रमेदिन्यै नमो नमः शत्रुविग्रहकलहान् त्रिपुरभोगिन्यै विषज्वालामालिनी तन्त्रनिके मेधप्रभे शवावतंसे हंसिके कालि कपालिनि कुल्ले कुरुकुल्ले चैतन्यप्रभेप्रज्ञे तु साम्राज्ञि ज्ञान ह्रीँ ह्रीँ रक्ष रक्ष ज्वाला प्रचण्ड चण्डिकेयं शक्तिमार्तण्डभैरवि विप्रचित्तिके विरोधिनि आकर्णय आकर्णय पिशिते पिशितप्रिये नमो नमः खः खः खः मर्दय मर्दय शत्रून् ठः ठः ठः कालिकायै नमो नमः ब्राम्हयै नमो नमः माहेश्वर्यै नमो नमः कौमार्यै नमो नमः वैष्णव्यै नमो नमः वाराह्यै नमो नमः इन्द्राण्यै नमो नमः चामुण्डायै नमो नमः अपराजितायै नमो नमः नारसिँहिकायै नमो नमः कालि महाकालिके अनिरुध्दके सरस्वति फट् स्वाहा पाहि पाहि ललाटं भल्लाटनी अस्त्रीकले जीववहे वाचं रक्ष रक्ष परविधा क्षोभय क्षोभय आकृष्य आकृष्य कट कट महामोहिनिके चीरसिध्दके कृष्णरुपिणी अंजनसिद्धके स्तम्भिनि मोहिनि मोक्षमार्गानि दर्शय दर्शय स्वाहा ।।

इस काली सहस्त्राक्षरी का नित्य पाठ करने से ऐश्वर्य,मोक्ष,सुख,समृद्धि,एवं शत्रुविजय प्राप्त होता है,इसमे कोई संदेह नही है।




आदेश.....