24 May 2016

चौरासीनाथ सिद्ध चालीसा


श्री गुरु गणनायक सिमर , शारदा का आधार |
कहूँ सुयश श्री नाथ का , निज मति के अनुसार ||
श्री गुरु गोरक्षनाथ के , चरणों में आदेश |
जिन के जोग प्रताप को , जाने सकल नरेश ||
जय श्री नाथ निरंजन स्वामी , घट घट के तुम अन्तर्यामी |

दीन दयालु दया के सागर , सप्तद्वीप नवखंड उजागर |
आदि पुरुष अद्वैत निरंजन , निर्विकल्प निर्भय दुख भंजन |
अजर अमर अविचल अविनाशी , रिद्धी सिद्धि चरणों की दासी |
बाल यती ज्ञानी सुखकारी , श्री गुरुनाथ परम हितकारी |
रूप अनेक जगत में धारे , भगत जनों के संकट टारे |
सुमिरन चौरंगी जब कीन्हा , हुए प्रसन्न अमर पद दीन्हा |
सिद्धों के सिरताज मनाओ , नवनाथों के नाथ कहावो |
जिसका नाम लिए भव जाल , अवागंमन मिटे तत्काल |
आदिनाथ मत्स्येन्द्र पीर, धोरामनाथ धुंधली वीर |
कपिल मुनि चर्पट कुण्डेरी , नीमनाथ पारस चगेरी |
परशुराम जमदग्नि नंदन , रावण मार राम रघुनन्दन |
कंसादिक असुरन दलहारी , वासुदेव अर्जुन धनुर्धारी |
अन्चलेश्वर लक्ष्मण बलबीर , बलदाई हलधर यदुवीर |
सारंगनाथ पीर सरसाईं , तुंगनाथ बद्री बलदाई |
भूतनाथ धरीपा गोरा , बटुकनाथ भैरो बल जोरा |
वामदेव गौतम गंगाई , गंगनाथ धोरी समझाई |
रतननाथ रण जीतन हारा , यवन जीत काबुल कंधारा |
नागनाथ नाहर रमताई , बनखण्डी सागर नन्दाई |
बंकनाथ कन्थड सिद्ध रावल , कानीपा निरीपा चंद्रावल |
गोपीचंद भर्तृहरि भूप , साधे योग लखे निज रूप |
खेचर भूचर बाल गुन्दाई , धर्मनाथ कपली कनकाई |
सिद्धनाथ सोमेश्वर चंडी , भुसकाई सुन्दर बहुदण्डी |
अजयपाल शुकदेव व्यास , नासकेतु नारद सुख रास |
सनत्कुमार भारत नहीं निद्रा , सनकादिक शरद सुर इन्द्रा |
भंवरनाथ आदि सिद्ध बाला , च्यावननाथ मानिक मतवाला |
सिद्ध गरीब चंचल चन्दराई , नीमनाथ आगर अमराई |
त्रिपुरारी त्र्यम्बक दुःख भन्जन, मंजुनाथ सेवक मन रंजन |
भावनाथ भरम भयहारी , उदयनाथ मंगल सुखकारी |
सिद्ध जालंधर मूंगी पावे, जाकी गति मति लखि न जावे |
अवघड देव कुबेर भंडारी , सहजाई सिद्धनाथ केदारी |
कोटि अनन्त योगेश्वर राजा , छोड़े भोग योग के काजा |
योग युक्ति करके भरपूर , मोह माया से हो गए दूर |
योग युक्ति कर कुन्तिमाई , पैदा किये पांचो बलदाई |
धर्मं अवतार युधिष्ठिर देवा , अर्जुन भीम नकुल सहदेवा |
योग युक्ति पार्थ हिय धारा , दुर्योधन दल सहित संहारा |
योग युक्ति पांचाली जानी , दुशासन से यह प्रण ठानी |
पावूं रक्त न जब लग तेरा , खुला रहे यह शीश मेरा |
योग युक्ति सीता उद्धारी , दशकन्धर से गिरा उच्चारी |
पापी तेरा वंश मिटाऊँ , स्वर्ण लंका विध्वंस कराऊँ |
श्री रामचंद्र को यश दिलाऊं , तो मैं सीता सती कहाऊँ |
योग युक्ति अनसूया कीनो , त्रिभुवननाथ साथ रस भीनो |
देव दत्त अवधूत निरंजन , प्रगट भए आप जगवंदन |
योग युक्ति मैनावती कीन्ही , उत्तम गति पुत्र को दीन्ही |
योग युक्ति की बांछल मातू , गोगा जाने जगत विख्यातू |
योग युक्ति मीरा ने पाई , गढ चित्तौड़ में फिरी दुहाई |
योग युक्ति अहिल्या जानी , तीन लोक में चली कहानी |
सावित्री सरस्वती भवानी , पार्वती शंकर मनमानी |
सिंह भवानी मनसा माई , भद्रकाली सहजा बाई |
कामरू देश कामाक्षा जोगन , दक्षिण में तुलजा रस भोगन |
उत्तर देश शारदा रानी , पूरब में पाटन जग मानी |
पश्चिम में हिंगलाज बिराजे , भैरवनाद शंख ध्वनि बाजे |
नवकोटी दुर्गा महारानी , रूप अनेक वेड नहीं जानी |
काल रूप धर दैत्य संहारे , रक्त बीज रण खेत पछारे ।
मैं जोगन जग उत्पत्ति करती , पालन करती संहार करती |
जती सती की रक्षा करनी , मार दुष्ट दल खप्पर भरनी |
में श्री नाथ निरंजन की दासी , जिनको ध्यावे सिद्ध चौरासी |
योग युक्ति से रचे ब्रम्हाण्डा , योग युक्ति थरपे नवखण्डा |
योग युक्ति तप तपे महेश , योग युक्ति धर धरे हैं शेष |
योग युक्ति विष्णु तन धारे , योग युक्ति असुरन दल मारे |
योग युक्ति गजानन जाने , आदि देव त्रिलोकी माने |
योग युक्ति करके बलवान , योग युक्ति करके बुद्धिमान |
योग युक्ति करा पावे राज , योग युक्ति कर सुधारे काज |
योग युक्ति योगेश्वर जाने , जनकादिक सनकादिक माने |
योग युक्ति मुक्ति का द्वार , योग युक्ति बिन नहीं निस्तारा |
योग युक्ति जाके मन भावे , ताकि महिमा कही न जावे |
जो नर पढ़े सिद्ध चालीसा , आदर करे देव तैंतीसा |
साधक पाठ पढ़े नित्य जो कोई , मनोकामना पूरण होई |
धुप दीप नैवेद्य मिठाई , रोट लंगोट भोग लगाई |

दोहा

रतन अमोलक जगत में , योग युक्ति है मीत |
नर से नारायण बने , अटल योगी की रीत |
योग विहंगम पंथ को , आदिनाथ शिव कीन्हा |
शिष्य प्रशिष्य परंपरा , सब मानव को दीन्हा |
प्रातःकाल स्नान कर , सिद्ध चालीसा ज्ञान |
पढ़े सुने नर पावही , उत्तम पड़ा निर्वाण |
इति चौरासी सिद्ध चालीसा संपूर्ण भया |
श्री नाथजी गुरूजी को आदेश | आदेश |
गुरु गोरक्षनाथ भगवान की जय |


चौरासीनाथ सिद्धों को आदेश आदेश.....